EducationFEATUREDGeneralLatestNationalNewsPoliticsTOP STORIESViral

हिजाब विवाद: कानूनी लड़ाई लड़ने वाली उडुपी की दो छात्राओं को बुर्का पहनकर परीक्षा देने की नहीं मिली अनुमति, परीक्षा केंद्र से लौटींं


दोनों ही लड़कियां एक ऑटो-रिक्शा से हिजाब पहनकर परीक्षा केंद्र पर पहुंची थी. बताया जा रहा है कि उनके पास हॉल टिकट भी थी. तकरीबन 45 मिनट तक निरीक्षक और लड़कियों में बहस होता रहा.

कर्नाटक के उडुपी में कक्षाओं के अंदर हिजाब पहनने की कानूनी लड़ाई लड़ने वाली दो छात्राओं को आज कक्षा 12 की बोर्ड परीक्षा में बैठने की जब अनुमति नहीं मिली तो दोनों परीक्षा केंद्र से लौट गईं. न्यूज एजेंसी ANI के मुताबिक, दोनों ही छात्राएं बुर्का पहनकर विद्योद्या पीयू कॉलेज पहुंची थीं. खबर के अनुसार दोनों ही लड़कियों ने पहले ही हॉल टिकट ले लिया था. जब वे एक ऑटो-रिक्शा में परीक्षा केंद्र पहुंचीं, तो अधिकारियों ने उन्हें ड्रेस कोड का पालन करने के लिए कहा. लेकिन लड़कियों ने मना कर दिया और करीब 45 मिनट तक निरीक्षक और कॉलेज के प्रिंसिपल ने समझाने की कोशिश की.

अंततः उन्हें स्कूल के अंदर हिजाब पहनने पर राज्य सरकार के प्रतिबंध को बरकरार रखने वाले अदालत के आदेश के अपवाद की अनुमति नहीं दी गई. फिर उन्हें बिना परीक्षा दिए चुपचाप परिसर से बाहर निकलते देखा गया. शुक्रवार से शुरू हुई परीक्षा 18 मई तक चलेगी. पहला पेपर बिजनेस स्टडीज का था. राज्य भर के 1,076 केंद्रों पर 6.84 लाख से अधिक छात्र परीक्षा देंगे. इससे पहले 1 जनवरी को, उडुपी के एक कॉलेज की छह छात्राओं ने कैंपस फ्रंट ऑफ इंडिया (सीएफआई) द्वारा तटीय शहर में आयोजित एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में भाग लिया था, जिसमें कॉलेज के अधिकारियों ने उन्हें हेडस्कार्फ पहनकर कक्षाओं में प्रवेश से वंचित कर दिया था.

यूं बढ़ा था विवाद

गौरतलब है कि मुस्लिम लड़कियों द्वारा कॉलेज के ड्रेस कोड का उल्लंघन करने की अनुमति देने के विरोध में हिंदू लड़कियां भगवा स्कार्फ पहनकर कॉलेज आने लगी थीं. फिर यह मामला बड़े विवाद में बदल गया. मामला बिगड़ते देख सरकार को फरवरी में एक सप्ताह के लिए कॉलेज बंद करने के लिए मजबूर होना पड़ा.

कर्नाटक उच्च न्यायालय ने मामले को किया खारिज

इसके बाद लड़कियों ने प्रतिबंध के खिलाफ कर्नाटक उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया. मुख्य न्यायाधीश रितु राज अवस्थी की उच्च न्यायालय की पूर्ण पीठ ने उनकी याचिका को यह कहते हुए खारिज कर दी कि हिजाब एक आवश्यक धार्मिक प्रथा नहीं है. साथ ही उन्होंने हिजाब और किसी भी ऐसे कपड़े पर प्रतिबंध लगाने के सरकारी आदेश को बरकरार रखा, जो शांति, सद्भाव और सार्वजनिक व्यवस्था को बिगाड़ सकता है.

 178 total views


Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *