‘फ्लॉप’ होकर कामयाब होने का हुनर जानते थे जसपाल भट्टी
Jaspal Bhatti: उनका अंदाज अलहदा था, क्योंकि वह हंसी-मजाक में ही सिस्टम और सियासत को आड़े हाथों ले लेते थे. बात हो रही है जसपाल भट्टी की, जिन्होंने आज ही के दिन इस दुनिया को अलविदा कह दिया था.
Jaspal Bhatti Unknown Facts: 90 के दशक में जब दुनिया ब्लैक एंड व्हाइट टीवी पर ग्लैमर से रूबरू होती थी, उस दौर में एक सरदार जी अपने अलहदा अंदाज से न सिर्फ गुदगुदाते थे, बल्कि बेहद हल्के अंदाज में तमाम चीजों पर निशाना भी साध देते थे. बात हो रही है जसपाल भट्टी की, जिन्होंने आज ही दिन एक हादसे में अपनी जान गंवा दी थी. जसपाल भट्टी की पुण्यतिथि के मौके पर हम आपको उनकी जिंदगी के चंद किस्सों से रूबरू करा रहे हैं.
इंजीनियरिंग करके एक्टिंग की दुनिया में आए थे जसपाल भट्टी
तीन मार्च 1955 के दिन अमृतसर में एक सिख परिवार में जन्मे जसपाल भट्टी ने चंडीगढ़ स्थित पंजाब इंजीनियरिंग कॉलेज से इलेक्ट्रिकल इंजीनियर में ग्रैजुएशन किया था. इसके बाद उन्होंने एक्टिंग की दुनिया में कदम रखा और अपने बेहतरीन अंदाज से हर किसी को गुदगुदाना शुरू कर दिया.
ऐसा रहा जसपाल भट्टी का करियर
80 के दशक में जसपाल भट्टी ने दूरदर्शन के सीरियल उल्टा-पुल्टा से लोगों के दिलों में अपनी खास जगह बनाई. वहीं, फ्लॉप शो ने तो उन्हें कामयाबी की बुलंदियों पर पहुंचा दिया. इसके बाद वह सेहजी की एडवाइस, फुल टेंशन, थैंक्यू जीजा जी और ढाबा जंक्शन आदि सीरियल्स में नजर आए और उनकी कहानियां इतनी सरल होती थीं कि बेहद आसानी से आमजन के दिल को छू लेती थीं.
बड़े पर्दे पर भी मचा दी थी धूम
बता दें कि छोटे पर्दे के साथ-साथ जसपाल भट्टी ने बड़े पर्दे पर भी जमकर धूम मचाई. उन्होंने साल 1991 के दौरान अपने निर्देशन में माहौल ठीक है फिल्म का निर्देशन किया. इस फिल्म में जसपाल भट्टी को काफी तारीफ मिली. वहीं, फिल्म फना में उन्होंने गार्ड जॉली सिंह का किरदार निभाया. इसके अलावा उन्होंने कोई मेरे दिल से पूछे, मौसम, जानी दुश्मन, कुछ न कहो, जानम समझा करो और आ अब लौट चलें आदि फिल्मों में भी काम किया.
कार हादसे ने छीन ली थी जिंदगी
25 अक्टूबर 2012 के दिन जालंधर के शाहकोट के पास एक कार दुर्घटना में जसपाल भट्टी का निधन हो गया था. इस हादसे में उनकी बेटी की भी मौत हो गई थी. बता दें कि इस हादसे के अगले ही दिन उनके बेटे जसराज की फिल्म पावर कट रिलीज हुई थी. वहीं, साल 2013 के दौरान जसपाल भट्टी को देश के तीसरे सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार ‘पद्म भूषण’ (मरणोपरांत) से सम्मानित किया गया था.
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