घाना दौरे पर पीएम मोदी ने दिए खास तोहफे, भारत की कला और संस्कृति की दिखी झलक
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने दो दिन के घाना दौरे पर कुछ खास अंदाज में नज़र आए। इस दौरे के दौरान भारत और घाना के बीच कई समझौते हुए, लेकिन सबसे ज्यादा चर्चा में रहे वो खास तोहफे, जो पीएम मोदी ने घाना के बड़े नेताओं को दिए।
प्रधानमंत्री मोदी ने जब घाना से रवाना होने से पहले वहां के राष्ट्रपति, उनकी पत्नी, संसद अध्यक्ष और उपराष्ट्रपति को भारत की पारंपरिक शिल्पकला से बने खास तोहफे दिए, तो हर किसी की नजरें इन पर टिक गईं। ये सिर्फ गिफ्ट नहीं थे, बल्कि भारत की कला और परंपरा की पहचान थे।
राष्ट्रपति को मिला बिदरी कारीगरी का फूलदान
पीएम मोदी ने घाना के राष्ट्रपति जॉन महामा को एक शानदार फूलदान भेंट किया, जो कर्नाटक की बिदरी कारीगरी से बना था। ये धातु की खास कला होती है, जिसमें गहरे काले रंग की सतह पर चांदी से बारीक नक़्क़ाशी की जाती है। यह फूलदान बीदर ज़िले में तैयार किया गया था और इसकी बनावट देखने लायक थी।

राष्ट्रपति की पत्नी को दिया गया सिल्वर पर्स
राष्ट्रपति की पत्नी लॉर्डिना महामा को प्रधानमंत्री ने ओडिशा की तारकासी कला में बना चांदी का पर्स तोहफे में दिया। ये पर्स बारीक चांदी के तारों से हाथ से बुना गया है। इसमें बेल-बूटे और फूलों की खूबसूरत डिज़ाइन थी, जो इसे और भी खास बनाती है।

संसद अध्यक्ष के लिए हाथी अंबावरी
घाना के संसद अध्यक्ष अल्बन बैगबिन को पीएम मोदी ने पश्चिम बंगाल की शाही अंबावरी हाथी मूर्ति भेंट की। इस मूर्ति में एक भव्य हाथी के ऊपर छतरी और सवारी को बेहद सुंदर तरीके से उकेरा गया था। यह भारत की पुरानी शाही परंपरा का प्रतीक है।

उपराष्ट्रपति को भेंट की गई पश्मीना शॉल
पीएम मोदी ने घाना की उपराष्ट्रपति जेन नाना ओपोकू-अग्यमंग को जम्मू-कश्मीर की मशहूर पश्मीना शॉल भेंट की। यह शॉल खास तरह की बकरी की ऊन से बनती है, जो लद्दाख की ऊंची पहाड़ियों में पाई जाती है। इसे पूरी तरह हाथ से बुना जाता है और इसकी मुलायमियत और गर्माहट इसे बेहद खास बनाती है।

भारत की कला और रिश्तों की नई पहचान
पीएम मोदी के इन तोहफों ने न सिर्फ भारत की परंपरागत कला को दुनिया के सामने लाया, बल्कि घाना से रिश्तों को भी और गहरा कर दिया। ये उपहार इस बात की मिसाल हैं कि भारत अपनी कूटनीति में अब संस्कृति और परंपरा को भी एक अहम भूमिका दे रहा है।
इन तोहफों के जरिए पीएम मोदी ने दुनिया को दिखा दिया कि भारत के पास तकनीक ही नहीं, बल्कि एक समृद्ध सांस्कृतिक विरासत भी है, जिसे हम गर्व से साझा कर सकते हैं।
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