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‘कर्नाटक को यूपी वाले रास्ते पर नहीं जाना चाहिए’— बुलडोजर एक्शन वाले बयान पर पी. चिदंबरम की कड़ी प्रतिक्रिया


कर्नाटक के गृह मंत्री जी. परमेश्वर के बुलडोजर एक्शन वाले बयान पर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा सांसद पी. चिदंबरम ने कड़ी आपत्ति जताई है। चिदंबरम ने इस बयान पर हैरानी जताते हुए साफ कहा है कि बिना कानूनी प्रक्रिया के घरों को गिराना गैरकानूनी है और कांग्रेस ऐसी नीति के खिलाफ है।

दरअसल, कर्नाटक के गृह मंत्री जी. परमेश्वर ने विधानसभा में कहा था कि राज्य सरकार नशीली दवाओं की तस्करी से कमाए गए पैसों से बनाई गई इमारतों को गिरा सकती है। इसी बयान को लेकर अब राजनीतिक बहस तेज हो गई है।

‘कांग्रेस बुलडोजर न्याय के खिलाफ है’

पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदंबरम ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स (पूर्व ट्विटर) पर पोस्ट करते हुए कहा कि कांग्रेस पार्टी बुलडोजर न्याय के पूरी तरह खिलाफ है। उन्होंने कर्नाटक सरकार से अपील की कि वह घरों को गिराने के मामले में सुप्रीम कोर्ट के रुख के खिलाफ जाकर कोई अवैध रास्ता न अपनाए।

चिदंबरम ने लिखा कि कर्नाटक के गृह मंत्री का यह बयान उन्हें चिंतित करता है, जिसमें ड्रग तस्करों के घरों पर बुलडोजर चलाने की बात कही गई है। उन्होंने उम्मीद जताई कि यह खबर गलत हो सकती है।

‘बिना प्रक्रिया घर गिराना गैरकानूनी’

पी. चिदंबरम ने साफ शब्दों में कहा कि सुप्रीम कोर्ट पहले ही स्पष्ट कर चुका है कि बिना विधिवत कानूनी प्रक्रिया के किसी भी घर को गिराना गैरकानूनी है। ऐसा करना न सिर्फ कानून के खिलाफ है, बल्कि इससे उस घर में रहने वाले परिवार के अन्य सदस्यों के आश्रय के मौलिक और मानवाधिकारों का भी उल्लंघन होता है।

उन्होंने कहा कि अगर किसी व्यक्ति पर आरोप है या उसे दोषी ठहराया गया है, तो सिर्फ इसी आधार पर पूरे परिवार को सजा देना न्यायसंगत नहीं हो सकता।

‘कर्नाटक को यूपी मॉडल नहीं अपनाना चाहिए’

चिदंबरम ने अपने बयान में उत्तर प्रदेश का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी का मानना है कि उत्तर प्रदेश में अपनाई जा रही बुलडोजर न्याय की नीति गलत, अवैध और अन्यायपूर्ण है। ऐसे में कर्नाटक जैसे कांग्रेस शासित राज्य को यूपी के उस रास्ते पर नहीं चलना चाहिए, जो कानून और संविधान की भावना के खिलाफ हो।

सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हवाला

पी. चिदंबरम ने सुप्रीम कोर्ट की नवंबर 2024 की टिप्पणी का भी जिक्र किया, जो तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश बी. आर. गवई की अध्यक्षता वाली बेंच ने दी थी। उस समय सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि किसी आरोपी या दोषी व्यक्ति के घर पर बुलडोजर चलाना, पूरे परिवार को सामूहिक सजा देने जैसा है।

शीर्ष अदालत ने साफ शब्दों में कहा था कि भारत की संवैधानिक व्यवस्था और आपराधिक न्याय प्रणाली ऐसी कार्रवाई की इजाजत नहीं देती।

इस पूरे बयान के बाद अब कर्नाटक में बुलडोजर एक्शन को लेकर राजनीतिक और कानूनी बहस और तेज होने की संभावना है।

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