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बैंक डिपॉजिट्स पर बीमा कवर बढ़ाने की मांग, ग्राहकों और कर्मचारियों के लिए नए सुझाव


वित्त वर्ष 2025-26 के बजट को पेश होने में सिर्फ 15 दिन रह गए हैं, और वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण इस बजट को अंतिम रूप देने में व्यस्त हैं। इस दौरान विभिन्न स्टेकहोल्डर्स ने वित्त मंत्री को अपनी-अपनी मांगों की सूची सौंपी है। एक प्रमुख मांग बैंक डिपॉजिटर्स के लिए है, जिसमें 5 लाख रुपये से अधिक के डिपॉजिट्स पर भी बीमा कवर देने की बात की गई है।

5 लाख रुपये से अधिक जमा राशि के लिए बीमा कवर की सुविधा

वर्तमान में बैंक डिपॉजिट्स पर 5 लाख रुपये तक ही बीमा कवर मिलता है, जबकि डिपॉजिट्स की कुल राशि 5 लाख से अधिक हो सकती है। बैंक के डूबने की स्थिति में केवल 5 लाख रुपये तक के डिपॉजिट्स को ही बीमा सुरक्षा मिलती है। पहले यह सीमा 1 लाख रुपये थी, जिसे कुछ साल पहले बढ़ाकर 5 लाख रुपये किया गया था। अब इस सीमा को और बढ़ाने की मांग की जा रही है।

पूर्व बैंकर और वॉयस ऑफ बैंकिंग के फाउंडर अशवनी राणा ने वित्त मंत्री से अपील की है कि 98.3% बैंक ग्राहक तो इस बीमा कवर में आ जाते हैं, लेकिन जिन ग्राहकों की जमा राशि 5 लाख से ज्यादा है, उनके लिए एक विशेष डिपॉजिट बीमा योजना शुरू की जाए। इसके तहत ग्राहक अपनी जमा राशि को प्रीमियम देकर सुरक्षित रख सकते हैं, जिससे ग्राहकों को राहत मिलेगी और वे अपनी जमापूंजी चिटफंड, क्रिप्टो करेंसी या अन्य जोखिम भरे निवेशों की बजाय बैंक में रखना पसंद करेंगे।

बैंक जमा पर ब्याज दर में वृद्धि और एकीकृत शिकायत पोर्टल

इसके अलावा वॉयस ऑफ बैंकिंग ने बैंक जमा पर ब्याज दरों में वृद्धि की भी मांग की है। संगठन ने एकीकृत शिकायत पोर्टल की भी आवश्यकता जताई है, ताकि ग्राहकों को किसी भी बैंक की शिकायत के लिए अलग-अलग अधिकारियों और कार्यालयों में न भागना पड़े। इस पोर्टल के जरिए शिकायतों का समाधान समय पर किया जा सकेगा।

नई कर व्यवस्था में निवेश और बचत पर छूट की मांग

नई कर व्यवस्था में निवेश और बचत पर आयकर छूट की मांग की गई है, जो वर्तमान में नहीं मिलती। इससे निवेश और बचत की संस्कृति को बढ़ावा मिल सकेगा। सरकार से अनुरोध किया गया है कि नई टैक्स व्यवस्था में निवेश और बचत पर छूट दी जाए।

बैंक कर्मचारियों के लिए सुविधाएं

बैंक कर्मचारियों को रियायती ब्याज दरों पर लोन मिलते हैं, लेकिन इन लोन पर एसबीआई की ब्याज दर और रियायती दरों के अंतर की राशि पर कर्मचारियों को आयकर का भुगतान करना पड़ता है। वॉयस ऑफ बैंकिंग ने यह मांग की है कि रेलवे की तरह बैंक कर्मचारियों को भी रियायती ब्याज दरों का लाभ मिले और इस पर आयकर नहीं लगे, और यदि लगता है तो यह टैक्स बैंक को ही चुकाना चाहिए।

इस प्रकार, वित्त वर्ष 2025-26 के बजट के लिए बैंक डिपॉजिटर्स और कर्मचारियों के लिए कई अहम सुझाव सामने आए हैं, जो ग्राहकों को अधिक सुरक्षा और लाभ देने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम हो सकते हैं।

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