अहमदाबाद विमान हादसे की प्रारंभिक जांच रिपोर्ट जारी, 260 लोगों की गई जान
गुजरात के अहमदाबाद शहर में 12 जून को हुए विमान हादसे की शुरुआती जांच रिपोर्ट विमान दुर्घटना जांच ब्यूरो (AAIB) द्वारा सार्वजनिक कर दी गई है। यह हादसा एक इंटरनेशनल फ्लाइट के टेक-ऑफ के कुछ ही देर बाद बीजे मेडिकल कॉलेज के हॉस्टल इमारत पर विमान के गिरने से हुआ था, जिसमें 260 लोगों की मौत हो गई थी।
यह विमान एयर इंडिया का बोइंग 787-8 (पंजीकरण संख्या VT-ANB) था, जो लगभग 12 वर्ष पुराना था और अहमदाबाद से लंदन के लिए उड़ान भर रहा था। विमान में कुल 242 लोग सवार थे, जिनमें 12 क्रू सदस्य भी शामिल थे। हादसे के दौरान केवल एक यात्री ही जीवित बच पाया। इसके अलावा, जमीन पर मौजूद कई लोग भी इस त्रासदी का शिकार बने।
हादसे से जुड़ी प्रमुख घटनाओं की समयरेखा (IST समयानुसार):
हादसे के बाद एयर ट्रैफिक कंट्रोल (ATC) से प्राप्त रिकॉर्डिंग्स के आधार पर घटनाओं की विस्तृत टाइमलाइन सामने आई है, जो बताती है कि टेक-ऑफ से लेकर क्रैश तक क्या हुआ:
01:13:00 PM – विमान ने पुशबैक और स्टार्टअप की अनुमति मांगी।
01:13:13 PM – ATC ने पुशबैक के लिए मंजूरी दी।
01:16:59 PM – स्टार्टअप की इजाजत भी दी गई।
01:19:12 PM – ATC ने पूछा कि क्या रनवे की पूरी लंबाई की आवश्यकता है, जिस पर पायलट ने हाँ में जवाब दिया।
01:25:15 PM – विमान ने टैक्सी के लिए अनुमति मांगी, जो दी गई।
01:32:03 PM – विमान को ग्राउंड कंट्रोल से टावर कंट्रोल को सौंप दिया गया।
01:33:45 PM – विमान को रनवे 23 पर जाकर लाइन-अप करने के निर्देश मिले।
01:37:33 PM – विमान को टेक-ऑफ की अनुमति दी गई। उस समय हवा 240 डिग्री की दिशा में 6 नॉट्स की गति से चल रही थी।
01:39:05 PM – विमान से ‘मेडे’ कॉल प्राप्त हुआ, जो किसी गंभीर तकनीकी या इमरजेंसी की ओर इशारा करता है।

क्या कहती है यह टाइमलाइन?
उपलब्ध जानकारी से स्पष्ट होता है कि टेक-ऑफ प्रक्रिया सामान्य रही — पुशबैक, स्टार्टअप, टैक्सी और उड़ान की मंजूरी तक सब कुछ नियमानुसार हुआ। हालांकि, टेक-ऑफ के दो मिनट के भीतर आपातकालीन ‘मेडे’ संदेश भेजा गया, जिससे संकेत मिलता है कि कोई गंभीर गड़बड़ी अचानक सामने आई।
AAIB की प्रारंभिक रिपोर्ट के मुताबिक, दुर्घटना की वजह जानने के लिए तकनीकी विश्लेषण और फ्लाइट डाटा रिकॉर्डर (FDR) व कॉकपिट वॉयस रिकॉर्डर (CVR) की जांच अभी जारी है।
यह हादसा भारतीय विमानन इतिहास के सबसे भीषण नागरिक हवाई दुर्घटनाओं में से एक माना जा रहा है, जिससे एयरलाइंस की सुरक्षा प्रक्रियाओं और अंतरराष्ट्रीय उड़ानों की निगरानी पर सवाल उठने लगे हैं।
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