क्या फाइजर की ‘पैक्सलोविड’ कोरोना की ‘रामबाण दवा’ है? आखिर क्यों WHO कर रहा है सिफारिश? जानें सबकुछ
फाइजर की पैक्सलोविड टैबलेट उन मरीजों के लिए ज्यादा असरदार है, जो कोरोना के हल्के लक्षणों से ग्रसित हैं. विशेषज्ञों का कहना है कि अगर मरीज को शुरुआत में ही यह दवा दी जाए तो वह जल्दी ठीक हो सकता है. इतना ही नहीं रिसर्च में यह भी बात सामने आई है कि इस टैबलेट का पूरा कोर्स लेने के बाद अस्पताल में भर्ती होने की जरूरत नहीं पड़ती.
नई दिल्ली. विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लूएचओ) ने कोविड-19 के हल्के लक्षणों वाले मरीजों के लिए फाइजर की एंटीवायरल दवा पैक्सलोविड के इस्तेमाल की अनुशंसा की है. डब्लूएचओ ने रेमेडिसविर के साथ-साथ मर्क की मोलनुपिरावीर गोली और मोनोक्लोनल एंटीबॉडी के लिए पैक्सलोविड की सिफारिश की है. डब्लूएचओ के विशेषज्ञों का कहना है कि फाइजर की यह दवा तुलनात्मक रूप से बेहतर है और अधिकतर मरीज अस्पताल में भर्ती होने से बच जाते हैं. एक तरह से डब्लूएचओ ने कोरोना के लिए पैक्सलोविड को चमत्कारी दवा बताया है.
विशेषज्ञों के मुताबिक पैक्सलोविड दो जेनेरिक दवाओं निर्माट्रेलवीर और रटनवीर का एक संयोजन है और यह कोरोना से संक्रमित बुजुर्ग मरीज और जिनकी प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर है, उसके लिए बेहद ही फायदेमंद है. एक रिपोर्ट के अनुसार, इस दवा का परीक्षण तकरीबन 3,100 रोगियों पर किया गया था, जिसमें पता चला कि अस्तपाल में भर्ती होने के जोखिम को 85 फीसदी तक कम कर दिया. हालांकि, शोधकर्ताओं ने कहा कि इससे मृत्यु दर में कोई महत्वपूर्ण परिवर्तन नहीं आया.
पैक्सलोविड का सेवन कौन कर सकता है?
इसे 30 गोलियों (टैबलेट) के डोज के तौर पर निर्धारित किया गया है. 5 दिनों तक खाना खाने के बाद दिन में 2 बार मरीज को इस दवा को लेने की सलाह दी जाती है. पैक्सलोविड की 3 टैबलेट के अंदर निर्माट्रेलवीर की दो और रटनवीर की एक गोली होती है. डब्लूएचओ की सिफारिश के मुताबिक इस दवा को 18 साल से अधिक के उम्र लोगों को दिया जा सकता है. वहीं गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाओं को यह दवा नहीं दी जा सकता है. वहीं जो गंभीर मरीज हैं, उन्हें भी नहीं दिया जा सकता है, क्योंकि उन पर यह दवा ज्यादा प्रभाव नहीं छोड़ती है. वैसे डब्ल्यूएचओ के विशेषज्ञों ने भी डेटा की कमी के कारण गंभीर रूप से बीमार रोगियों के लिए एक राय देने से इनकार कर दिया है.
पैक्सलोविड और मोलनुपिरावीर की तुलना
दोनों दवाओं को बनाने वाले अपने आप को बेहतर होने का दावा कर रहे हैं हैं. मर्क का कहना है कि मोलनुपिरावीर ‘हल्के से मध्यम कोविड-19 के उपचार के लिए अधिकृत पहली मुंह से खाने वाली एंटीवायरल दवा है’ जबकि फाइजर का कहना है पैक्सलोविड ‘अपनी तरह का पहला मुंह से सेवन किया जाने वाला एंटीवायरल टैबलेट है, जिसे कोरोना संक्रमण से मुकाबला करने के लिए रणनीति के तौर पर तैयार किया गया है.’ कंपनी ने कहा कि समग्र अध्ययन से पता चला है कि 28 दिनों की अवधि में, पैक्सलोविड प्राप्त करने वाले रोगियों में कोई मौत नहीं हुई. परीक्षण के दौरान फाइजर दवा ने, प्लेसिबो समूह की तुलना में उच्च जोखिम वाले वयस्कों में अस्पताल में भर्ती होने या मृत्यु के जोखिम को 89% तक कम कर दिया. वहीं मोलनुपिरावीर परीक्षण से पता चला कि गोली ने प्लेसिबो समूह की तुलना में अस्पताल में भर्ती होने या मृत्यु के जोखिम को लगभग 50% कम किया. कंपनी ने कहा कि 29 दिन के दौरान मोलनुपिरावीर टैबलेट लेने वाले रोगियों में से किसी की मौत नहीं हुई.
पैक्सलोविड सीमाएं क्या हैं?
एंटीवायरल उपचार की सीमाओं पर जोर देते हुए, डब्ल्यूएचओ के विशेषज्ञों ने कहा, ‘दवा केवल तभी दी जा सकती है, जब रोग अपने शुरुआती चरण में हो.’ इसका मतलब है कि रोगियों को जल्दी से कोरोना परीक्षण कराना चाहिए और एक डॉक्टर द्वारा दवा देनी चाहिए. साथ ही डब्लूएचओ ने यह भी कहा है कि निम्न और मध्यम आय वाले देशों में फिलहाल यह दवा उपलब्ध नहीं हो पाएगी. मरीजों को लक्षणों की शुरुआत के पांच दिनों के भीतर पैक्सलोविड गोलियां लेना शुरू कर देना चाहिए वैसे कोर्स तो पांच दिनों तक का रहता है.
पैक्सलोविड की कीमत कितनी है?
संयुक्त राज्य अमेरिका में पैक्सलोविड के एक पूरे कोर्स की कथित तौर पर कीमत $530 है. डब्ल्यूएचओ के एक सूत्र के मुताबिक, उच्च-मध्यम आय वाले देश में इसकी कीमत $250 है. वहीं रेमेडिसविर की कीमत $520 है, लेकिन भारतीय कंपनियों द्वारा बनाए गए इसके जेनेरिक संस्करण दवा की कीमत $53 से $64 रुपये तक है.
डब्लूएचओ कोशिश कर रहा है कि यह दवा दुनिया के सभी देशों तक सस्ती कीमत में मिले. रॉयटर्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक फाइजर ने कहा है कि उसने पैक्सलोविड के लिए दुनिया के 100 देशों के साथ बातचीत शुरू कर दी है, जिसके तहत अबतक 26 देशों के साथ समझौते हो चुके हैं
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