Nitish Kumar is embroiled in controversy after an AYUSH doctor was allegedly forced to remove her hijab; a video of the incident has gone viral, sparking a political uproar.
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार एक बार फिर विवादों में आ गए हैं। इस बार मामला एक नवनियुक्त आयुष महिला डॉक्टर से जुड़ा है, जिसका वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है। वीडियो में आरोप लगाया जा रहा है कि नियुक्ति पत्र देते समय मुख्यमंत्री ने महिला डॉक्टर का हिजाब खींच दिया।
वीडियो में क्या दिखाई दे रहा है?
सोशल मीडिया पर वायरल क्लिप में देखा जा सकता है कि नियुक्ति पत्र लेने के लिए मंच पर आई एक मुस्लिम महिला डॉक्टर हिजाब में हैं। इसी दौरान मुख्यमंत्री नीतीश कुमार उनसे पूछते हैं, “ये क्या है?” और फिर थोड़ा झुककर उनके चेहरे से हिजाब नीचे की ओर खींच देते हैं।
वीडियो में मुख्यमंत्री के पीछे उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी खड़े दिखाई देते हैं, जो उन्हें ऐसा करने से रोकने की कोशिश करते नजर आते हैं। वहीं मंच पर मौजूद स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे और मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव दीपक कुमार को मुस्कुराते हुए भी देखा गया है, जिसे लेकर भी सवाल उठ रहे हैं।
किस कार्यक्रम का है मामला?
यह घटना आयुष डॉक्टरों को नियुक्ति पत्र बांटने के दौरान हुई। मुख्यमंत्री के आधिकारिक सोशल मीडिया अकाउंट से भी इस कार्यक्रम की तस्वीरें साझा की गई हैं। पोस्ट में बताया गया कि मुख्यमंत्री सचिवालय स्थित ‘संवाद’ में 1283 आयुष डॉक्टरों—आयुर्वेद, होम्योपैथी और यूनानी—को नियुक्ति पत्र सौंपे गए।
हालांकि तस्वीरों में इस विवादित पल का जिक्र नहीं है, लेकिन वायरल वीडियो ने पूरे कार्यक्रम को विवाद के केंद्र में ला दिया है।
विपक्ष का तीखा हमला
इस घटना को लेकर विपक्षी दलों ने मुख्यमंत्री पर तीखा हमला बोला है।
कांग्रेस ने वीडियो साझा करते हुए आरोप लगाया कि एक महिला डॉक्टर के साथ सार्वजनिक मंच पर इस तरह का व्यवहार शर्मनाक है। पार्टी ने कहा कि अगर राज्य के मुख्यमंत्री ऐसा कर रहे हैं, तो महिलाओं की सुरक्षा को लेकर गंभीर सवाल खड़े होते हैं। कांग्रेस ने मुख्यमंत्री से नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए पद छोड़ने की मांग भी की है।
वहीं राष्ट्रीय जनता दल (RJD) ने भी इस घटना पर कड़ी प्रतिक्रिया दी है। पार्टी ने नीतीश कुमार के हालिया व्यवहार को लेकर उनकी मानसिक स्थिति पर सवाल उठाए और कहा कि इस तरह की घटनाएं चिंताजनक हैं।
पहले भी उठ चुके हैं सवाल
यह पहली बार नहीं है जब नीतीश कुमार के सार्वजनिक व्यवहार को लेकर बहस छिड़ी हो। बीते कुछ वर्षों में कई मौकों पर उनके आचरण से जुड़े वीडियो सामने आते रहे हैं। अगस्त में एक मदरसे के कार्यक्रम के दौरान टोपी पहनने से इनकार का वीडियो वायरल हुआ था. कुछ महीने पहले एक कार्यक्रम में उन्होंने एक वरिष्ठ अधिकारी के सिर पर फूलों का गमला रख दिया था। जनवरी में महात्मा गांधी की पुण्यतिथि पर श्रद्धांजलि देने के बाद अचानक ताली बजाने लगे थे। मार्च में राष्ट्रगान के दौरान बातचीत और हँसते हुए भी कैमरे में कैद हुए। पिछले साल दरभंगा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पैर छूने की कोशिश का वीडियो भी सामने आया था
बदला हुआ रुख?
राजनीतिक हलकों में यह चर्चा भी हो रही है कि नीतीश कुमार का रुख समय के साथ बदला है। 2013 में एनडीए से अलग होने के बाद वे खुले तौर पर टोपी पहनते थे और इफ्तार कार्यक्रमों में हिस्सा लेते थे। तब उन्होंने यह भी कहा था कि वे तिलक भी लगाते हैं और टोपी भी।
अब आगे क्या?
फिलहाल इस वायरल वीडियो को लेकर सरकार की ओर से कोई विस्तृत सफाई सामने नहीं आई है। लेकिन विपक्ष के तीखे हमलों के बीच यह मामला और तूल पकड़ता जा रहा है। आने वाले दिनों में यह देखना अहम होगा कि मुख्यमंत्री या सरकार इस पूरे विवाद पर क्या आधिकारिक प्रतिक्रिया देती है।
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