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RSS में पिछड़े वर्ग के प्रतिनिधित्व और राजनीतिक आरोपों पर संघ का जवाब – सुनील आंबेकर ने दी सफाई


राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) पर अक्सर यह आरोप लगाया जाता है कि संगठन में ऊंची जातियों को अधिक प्रतिनिधित्व मिलता है और पिछड़े वर्गों की भागीदारी सीमित होती है। हाल ही में कुछ राजनीतिक दलों और विपक्षी नेताओं ने इसी मुद्दे को उठाया और संघ को बैन करने तक की मांग भी की। इन आरोपों पर अब RSS के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख सुनील आंबेकर ने प्रतिक्रिया दी है।

‘संघ को राजनीति से जोड़ना ठीक नहीं’
सुनील आंबेकर ने कहा कि संघ एक सामाजिक संगठन है और इसे राजनीतिक नजरिए से नहीं देखा जाना चाहिए। उन्होंने कहा, “RSS किसी राजनीतिक पार्टी की तरह काम नहीं करता। हम समाज में हर वर्ग से जुड़ते हैं और देशभर में काम करते हैं।”

जातीय जनगणना पर क्या कहा संघ ने?
जातीय जनगणना के मुद्दे पर उन्होंने साफ किया कि RSS का फोकस सामाजिक समरसता पर है। उन्होंने कहा कि अगर किसी भी योजना या कल्याण के लिए जानकारी की जरूरत है तो सरकार उसे जुटा सकती है। लेकिन प्राथमिकता समाज में एकता और सद्भाव बनाए रखने की होनी चाहिए।

RSS को बैन करने की मांग पर टिप्पणी
कुछ नेताओं की ओर से संघ पर प्रतिबंध लगाने की बात पर आंबेकर ने जवाब दिया, “संघ को लेकर समय-समय पर टीका-टिप्पणी होती रहती है, लेकिन बड़ी संख्या में लोग संघ से जुड़ रहे हैं और हमें समाज का समर्थन मिल रहा है।”

कांवड़ यात्रा और वोटर लिस्ट विवाद पर प्रतिक्रिया
कांवड़ यात्रा से जुड़े विवाद पर उन्होंने कहा कि भारत में धार्मिक आयोजन सामान्य तौर पर शांतिपूर्ण और व्यवस्थित होते हैं। उन्होंने कहा कि समाज में सद्भाव बना रहे, यही संघ की प्राथमिकता है।

बिहार में मतदाता सूची के पुनरीक्षण को लेकर मचे विवाद पर उन्होंने इसे चुनाव आयोग की सामान्य प्रक्रिया बताया। उन्होंने कहा, “हर चुनाव से पहले मतदाता सूची का पुनरीक्षण होता है, यह एक नियमित प्रक्रिया है।”

धर्मनिरपेक्षता और समाजवाद पर सरकार्यवाह की टिप्पणी पर सफाई
संघ के वरिष्ठ नेता दत्तात्रेय होसबोले की संविधान से “धर्मनिरपेक्ष” और “समाजवाद” जैसे शब्दों की समीक्षा की टिप्पणी पर उन्होंने कहा कि वह बयान आपातकाल के समय हुए दमन और बदलावों की पृष्ठभूमि में था। उन्होंने बताया कि उस दौर की घटनाओं पर पुनर्विचार की जरूरत है, यह उस समय के फैसलों की समीक्षा की बात थी।

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