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सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र राजनीतिक विवाद की सुनवाई के लिए संविधान पीठ के गठन का दिया संकेत, 1 अगस्त को अगली सुनवाई


शिवसेना के बागी विधायकों को लेकर कपिल सिब्बल ने कहा- इस तरह से हर चुनी हुई सरकार को गिराया जा सकता है, क्योंकि शेडयूल 10 में संरक्षण नहीं दिया गया है.

महाराष्ट्र के एकनाथ शिंदे-उद्धव ठाकरे विवाद पर सुप्रीम कोर्ट 1 अगस्त को सुनवाई करेगा. कोर्ट ने आज सभी पक्षों से कहा कि वह आपस में बात कर सुनवाई के बिंदुओं का एक संकलन जमा करवाएं. चीफ जस्टिस एन वी रमना की अध्यक्षता वाली 3 जजों की बेंच ने यह संकेत भी दिया कि सुनवाई के लिए संविधान पीठ का गठन किया जा सकता है. कोर्ट ने फिलहाल विधायकों की अयोग्यता जैसे मसलों पर यथस्थिति बनाए रखने का निर्देश दिया है. साथ ही, मामले से जुड़े विधानसभा के सभी रिकॉर्ड सुरक्षित रखने के लिए भी कहा है.

शिवसेना के एकनाथ शिंदे और उद्धव ठाकरे गुट के अलग होने और शिंदे के नेतृत्व में महाराष्ट्र में नई सरकार के गठन से जुड़े सभी मामले आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के लिए लगे थे. चीफ जस्टिस एन वी रमना, जस्टिस कृष्ण मुरारी और हिमा कोहली की बेंच ने करीब सवा घंटे तक सभी पक्षों को सुना. इन याचिकाओं में विधायकों की अयोग्यता, राज्यपाल की तरफ से शिंदे गुट को आमंत्रण देने, विश्वास मत में शिवसेना के 2 व्हिप जारी होने जैसे कई मसलों को उठाए गए हैं.

चीफ जस्टिस की बेंच ने की सुनवाई

उद्धव कैंप के सुभाष देसाई और सुनील प्रभु के लिए पेश वरिष्ठ वकीलों कपिल सिब्बल और अभिषेक मनु सिंघवी ने सुनवाई के कई बिंदुओं पर चर्चा की. सिब्बल ने कहा कि इस मामले को तत्काल सुनना ज़रूरी है क्योंकि इस तरह किसी भी सरकार से कुछ लोग अलग होकर उसे गिरा सकते हैं. सिंघवी ने कहा कि बागी गुट के विधायकों के खिलाफ अयोग्यता की कार्रवाई से डिप्टी स्पीकर को रोक दिया गया. इस बीच राज्यपाल ने शिंदे को सरकार बनाने के लिए आमंत्रित कर दिया. कानून और नैतिकता को ताक पर रख कर नए स्पीकर का निर्वाचन हुआ. उन्होंने इस गुट को नई सरकार के विश्वास मत में वोट देने की अनुमति दे दी. कोर्ट विधानसभा के सभी रिकॉर्ड तलब करे और यह देखे कि मामले में कब-कब क्या-क्या हुआ.

सिंघवी ने कहा कि इन विधायकों को अंतरिम तौर पर अयोग्य करार देने की ज़रूरत थी. अब अगर नए स्पीकर को मामले पर फैसला लेने दिया गया तो यह सही नहीं होगा. फिलहाल मामले में यथस्थिति का आदेश दिया जाना चाहिए. शिंदे कैंप की तरफ से वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे ने कहा, “पार्टी लोकतांत्रिक तरीके से चलनी चाहिए. जिस मुख्यमंत्री को बहुमत का समर्थन न हो, उसे पद पर नहीं रहना चाहिए. अब कोर्ट के आदेश के ज़रिए ऐसे व्यक्ति को पद पर वापस लाने की कोशिश की जा रही है, जिसे 15-20 विधायकों का समर्थन है.”

सॉलिसीटर जनरल बोले- शिवसेना में था आंतरिक मतभेद

राज्यपाल कार्यालय के लिए पेश सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने कहा, “एक गठबंधन में चुनाव लड़ने के बाद दूसरे गठबंधन के साथ सरकार बनाने से शिवसेना में आंतरिक मतभेद था. याचिकाकर्ता राज्यपाल के बारे में काफी कुछ कह रहे हैं. उस पर जवाब देने का अवसर मिलना चाहिए.” एकनाथ शिंदे के वकील हरीश साल्वे ने कहा कि मामले में कुछ नई याचिकाएं भी दाखिल हो गई हैं. उन पर जवाब के लिए 1 हफ्ते का समय दिया जाए.

इस पर चीफ जस्टिस ने कहा कि बेहतर हो कि सभी पक्ष अपनी दलीलों का एक संकलन कोर्ट में जमा करें. इससे सुनवाई के कानूनी बिंदु तय करने में मदद मिलेगी. हो सकता है कि सुनवाई के लिए संविधान पीठ का गठन करना पड़े, क्योंकि मामले कुछ पुराने फैसलों के हवाला दिया जा रहा है, वह संविधान पीठ ने दिए थे. मामले के दोनों पक्षों ने संविधान पीठ के गठन को उचित कहा.

सुनवाई के अंत में चीफ जस्टिस ने कहा कि वह अभी संविधान पीठ के गठन का आदेश नहीं दे रहे हैं. सभी पक्ष आपस में बात करें और मामले में सुनवाई के बिंदुओं का एक संकलन कोर्ट में जमा करें. इसके लिए शुक्रवार, 29 जुलाई तक का समय दिया जा रहा है. मामला 1 अगस्त को सुना जाएगा. तब तक विधानसभा में यथस्थिति का आदेश जारी रहेगा. फिलहाल, मामले से जुड़े सभी विधानसभा के रिकॉर्ड सुरक्षित रखे जाएं.

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