LatestNews

‘रिश्तेदारों को किडनैप कर गलत फैसला देने को करते हैं मजबूर’, पाकिस्तान में 6 जजों ने ISI पर लगाया गंभीर आरोप


पड़ोसी देश पाकिस्तान में अब वो सब हो रहा है जो हम कभी 90 के दशक की हिन्दी फिल्मों में देखा करते थे और रोमांच से भर जाते थे। तब की कई फिल्मों में ऐसा होता था कि अदालत में फैसला सुनाने वाले न्यायाधीश के परिजनों को अगवा कर लिया जाता था जिसके बाद हीरो की एंट्री होती थी और वो सभी कुछ ठीक कर देता था।

दुर्भाग्य से पाकिस्तान में अब ये हकीकत में हो रहा है मगर इसे ठीक करने के लिए कोई ‘हीरो’ नहीं है। पाकिस्तान में किस तरह तरह इंसाफ का गला घोंटा जा रहा है और ज्यूडिशियल सिस्टम की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं, इसका खुलासा खुद वहां के जजों ने किया है।

इस्लामाबाद हाई कोर्ट के छह जजों ने चिट्ठी लिखकर आरोप लगाया है कि खुफिया एजेंसी इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस (ISI) के लोग उन्हें आजादी से काम करने से रोक रहे हैं और दबाव डालकर और धमकी देकर गलत फैसले लिखने को मजबूर कर रहे हैं। इन जजों ने सुप्रीम ज्यूडिशियल काउंसिल (SJC) से मामले में दखल देने की मांग की है।

पाकिस्तानी वेबसाइट डॉन की एक रिपोर्ट के मुताबिक कि मंगलवार को, इस्लामाबाद हाई कोर्ट के आठ में से छह जजों ने सर्वोच्च सुप्रीम ज्यूडिशियल काउंसिल के सदस्यों को चिट्ठी लिखी है। इस चिट्ठी में न्यायाधीशों के रिश्तेदारों के अपहरण और उत्पीड़न के साथ-साथ उनके घरों के अंदर गुप्त निगरानी करने और उसके जरिए जजों पर दबाव बनाने के आरोपों का जिक्र है।

25 मार्च को लिखे गए इस पत्र पर हस्ताक्षर करने वाले छह जजों में जस्टिस मोहसिन अख्तर कयानी, तारिक महमूद जहांगीरी, बाबर सत्तार, सरदार इजाज इशाक खान, अरबाब मुहम्मद ताहिर और जस्टिस समन रफत इम्तियाज शामिल हैं। हाईकोर्ट के जजों की इस चिट्ठी के बाद पाकिस्तान में हंगामा मच गया है। जजों के इन आरोपों की जांच की मांग होने लगी है।

हाई कोर्ट के जजों ने जिस सुप्रीम ज्यूडिशियल काउंसिल को चिट्ठी लिखी है, उसके सदस्यों में पाकिस्तान के मुख्य न्यायाधीश काजी फैज ईसा, पाक सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश मंसूर अली शाह और जस्टिस मुनीब अख्तर और इस्लामाबाद हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस आमिर फारूक और पेशावर उच्च न्यायालय के चीफ जस्टिस मोहम्मद इब्राहिम खान शामिल हैं।

इन जजों को लिखी चिट्ठी में हाइ कोर्ट के जजों ने यह भी सवाल किया है कि क्या न्यायाधीशों को “डराने-धमकाने” और उन पर दबाव डालने की कोई सरकारी नीति मौजूद है। इन जजों ने इस्लामाबाद हाई कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश शौकत अजीज सिद्दीकी की उस मांग का भी समर्थन किया है, जिसमें उन्होंने ISI के गुर्गों द्वारा हस्तक्षेप के आरोपों की जांच की मांग की थी

 100 total views


Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *