उत्तराखंड नगर निकाय चुनाव 2024: भाजपा की तैयारी पूरी, मेयर उम्मीदवारों का ऐलान
उत्तराखंड में आगामी शहरी स्थानीय निकाय चुनावों के लिए भारतीय जनता पार्टी (भा.ज.पा.) ने अपनी तैयारी पूरी कर ली है। पार्टी ने राज्य की 11 नगर निगमों के लिए मेयर पद के उम्मीदवारों की घोषणा की है। भाजपा ने उम्मीदवारों के नामों का ऐलान दो चरणों में किया। पहले छह सीटों के लिए नामों का ऐलान हुआ और फिर बाकी पांच सीटों के लिए उम्मीदवारों की घोषणा की गई।
भा.ज.पा. के मेयर उम्मीदवारों की सूची:
हरिद्वार: किरण जैसल
श्रीनगर: आशा उपाध्याय
कोटद्वार: शैलेन्द्र रावत
पिथौरागढ़: कल्पना देवलाल
अल्मोड़ा: अजय वर्मा
रुद्रपुर: विकास शर्मा
देहरादून: सौरभ थपलियाल
ऋषिकेश: शंभू पासवान
रुड़की: अनीता देवी अग्रवाल
हल्द्वानी: गजराज सिंह बिष्ट
काशीपुर: दीपक बाली
चुनाव की तैयारियां तेज:
उत्तराखंड में 23 जनवरी 2024 को होने वाले चुनावों के लिए भाजपा ने जोरदार प्रचार शुरू कर दिया है। 100 नगर निकायों के लिए होने वाले चुनाव में कुल 30,83,500 पंजीकृत मतदाता हैं, जिनमें से 15,89,467 पुरुष, 14,93,519 महिलाएं और 514 अन्य शामिल हैं। भाजपा के लिए यह चुनाव इसलिए अहम है क्योंकि शहरी मतदाता लोकसभा और विधानसभा चुनावों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
भा.ज.पा. का चुनावी रणनीति:
भा.ज.पा. ने उम्मीदवारों के चयन में स्थानीय मुद्दों, जातिगत समीकरण और मतदाताओं की प्राथमिकताओं का ध्यान रखा है। पार्टी ने अनुभवी और नए चेहरों का संतुलन बनाए रखा है। भाजपा ने शहरी विकास और बुनियादी ढांचे के सुधार पर जोर दिया है।
कांग्रेस और आप की चुनौती:
भा.ज.पा. का दावा है कि वह सभी 11 नगर निगमों में जीत हासिल करेगी, लेकिन कांग्रेस और आम आदमी पार्टी (AAP) भी पूरी तरह से सक्रिय हो गई हैं। कांग्रेस ने स्थानीय मुद्दों जैसे पानी, सड़क और सफाई पर जोर दिया है, वहीं AAP ने अपने विकास मॉडल के आधार पर मतदाताओं को आकर्षित करने की योजना बनाई है।
शहरी मुद्दे होंगे चुनावी चर्चा का केंद्र:
इस बार के चुनाव में शहरी विकास, नगर निगमों की वित्तीय स्थिति, कचरा प्रबंधन, जल आपूर्ति और यातायात समस्याएं प्रमुख मुद्दे बन सकते हैं। भाजपा ने अपने घोषणापत्र में शहरी विकास और बुनियादी ढांचे के सुधार पर विशेष ध्यान दिया है। राजनीतिक जानकारों का मानना है कि ये चुनाव भाजपा के लिए अपने शहरी आधार को मजबूत करने का अवसर है। अगर भाजपा अच्छा प्रदर्शन करती है, तो यह पार्टी की साख को बढ़ाएगा और आगामी चुनावों में उसके लिए फायदे का सौदा साबित होगा।
9 total views