अमेरिका में क्या बोल गए CJI चंद्रचूड़ ?
भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) डीवाई चंद्रचूड़ (Justice DY Chandrachud) ने सोमवार को कहा कि न्यायाधीश निर्वाचित नहीं होते हैं और हर पांच साल के बाद लोगों के पास नहीं जाते हैं, लेकिन न्यायपालिका का लोकतंत्र में विशेष रूप से भारत जैसे बहुलवादी देश में एक स्थिर प्रभाव होता है.
वाशिंगटन. भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ (Justice DY Chandrachud) ने कहा है कि न्यायाधीश निर्वाचित नहीं होते हैं, वे हर 5 साल में लोगों के पास नहीं जाते हैं, लेकिन न्यायपालिका का लोकतंत्र और खास तौर पर भारत जैसे बहुलवादी देश में एक स्थिर प्रभाव होता है. वे सोमवार को अमेरिका के जार्ज टाउन यूनिवर्सिटी लॉ सेंटर में आयोजित तीसरी तुलनात्मक संवैधानिक कानून चर्चा को संबोधित कर रहे थे.
इस कार्यक्रम का आयोजन भारत और संयुक्त राज्य अमेरिका के सर्वोच्च न्यायालयों के परिप्रेक्ष्य विषय पर जॉर्जटाउन यूनिवर्सिटी लॉ सेंटर, वाशिंगटन डीसी और सोसाइटी फॉर डेमोक्रेटिक राइट्स (एसडीआर), नई दिल्ली द्वारा सह-आयोजित किया गया था. सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि जज निर्वाचित नहीं होते हैं और हम हर पांच साल में लोगों के पास वोट मांगने नहीं जाते हैं और इसका एक कारण है. दरअसल उनसे कॉलेजियम की नियुक्तियों और भारत में न्यायाधीश कैसे काम करते हैं? यह सवाल पूछा गया था.
अदालतों की स्थिरीकरण शक्ति की क्षमता में हमें भूमिका निभानी है
इसके जवाब में सीजेआई ने कहा कि न्यायपालिका समाज के विकास में एक स्थिर प्रभाव है जो अब प्रौद्योगिकी के साथ बहुत तेजी से विकसित हो रहा है और हम इस अर्थ में किसी चीज की आवाज का प्रतिनिधित्व करते हैं जिसे समय के उतार-चढ़ाव से परे रहना चाहिए. भारत में मौजूद बहुलवादी समाज के संदर्भ में अदालतों की स्थिरीकरण शक्ति की क्षमता में हमें भूमिका निभानी है.”
संवैधानिक परिवर्तन में आवाज उठाने के लिए अदालतों का रुख
सीजेआई ने कहा कि अदालतें आज नागरिक समाज और सामाजिक परिवर्तन के लिए जुड़ाव का केंद्र बिंदु बन गई हैं और लोग अब “न केवल परिणामों के लिए बल्कि संवैधानिक परिवर्तन में आवाज उठाने के लिए” अदालतों का रुख करते हैं. सीजेआई ने कहा, “लोगों को मंच देकर, अदालतें एक महत्वपूर्ण कार्य कर रही हैं और लोग अपनी आकांक्षाओं को व्यक्त करने और बदलाव लाने के लिए तेजी से आगे आ रहे हैं. उन्होंने कहा कि हम शासन की संस्था हैं.. हम सत्ता के पृथक्करण से बंधे हैं लेकिन फिर भी हम ऐसे क्षेत्र बन रहे हैं जहां लोग जलवायु परिवर्तन, मानवाधिकार, सामाजिक कल्याण जैसे क्षेत्रों में अपनी अभिव्यक्ति व्यक्त करने आते हैं.
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