लोकसभा चुनाव से पहले बाला साहेब की विरासत पर जंग!
महाराष्ट्र में मंगलवार को दशहरा के मौके पर उद्धव ठाकरे गुट की शिवसेना (Shiv Sena UBT) और मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की अगुवाई वाली शिवसेना, दशहरा रैली करेगी. इस रैली के जरिए आगामी लोकसभा चुनाव और राज्य के विधानसभा चुनाव की हुंकार भी भरी जाएगी. उद्धव ठाकरे का गुट शिवाजी पार्क में तो वहीं एकनाथ शिंदे का गुट आजाद मैदान में रैली करेगी. यह बात तो जाहिर है कि इन रैलियों से सियासी संदेश दिए जाएंगे लेकिन सबसे दिलचस्प बात है कि दोनों गुटों की रैलियों के केंद्र बिन्दु बाला साहेब ठाकरे हैं.
बाला साहेब ठाकरे ने 1966 में शिवसेना की स्थापना की थी. शिवाजी पार्क में शिवसेना ने पहली रैली की थी. तब बाला साहेब ठाकरे की अगुवाई में शिवसेना ने अपना सफर शुरू किया. साल 2022 में जब एकनाथ शिंदे ने बगावत की उसके बाद पार्टी में दो गुट बने. एक गुट उद्धव की अगुवाई में संचालित हो रहा है तो वहीं दूसरे के नेता एकनाथ शिंदे हैं.
एकनाथ शिंदे ने 1 साल पहले जब पार्टी तोड़ी तब उन्होंने शिवसेना के कांग्रेस के साथ जाने का भी हवाला दिया था. उन्होंने आरोप लगाया था कि उद्धव की अगुवाई में शिवसेना अपने मूलविचार से भटक गई और जिस कांग्रेस और उसकी नीतियों का बाला साहेब विरोध करते रहे उसी के साथ सरकार बना ली जिससे कार्यकर्ता नाराज हैं.
उधर, उद्धव ठाकरे गुट ने एकनाथ शिंदे के आरोपों को खारिज किया. उनका कहना है कि पार्टी कभी अपने मूल से नहीं भटकी. कांग्रेस के साथ सरकार बनाने के बाद भी हिन्दुत्व, सावरकर समेत अन्य मुद्दों पर उसकी नीतियों में कोई बदलाव नहीं आया है.
उत्तराधिकार पर जंग
अगर बंटवारा नहीं होता तो ये बाला साहेब ठाकरे की स्थापित शिवसेना की 57वीं रैली होती लेकिन अब दोनों गुटों की यह दूसरी रैली है. उद्धव गुट शिवाजी पार्क में और शिंदे गुट आजाद मैदान से हुंकार भरेगा तो दोनों की कोशिश है कि वह जनता में खुद को बाला साहेब का उत्तराधिकारी बता सकें. उद्धव के अगुवाई वाली शिवसेना ने अपने सोशल मीडिया पेज पर जहां एक वीडियो शेयर कर पिछले 57 सालों का सफर जारी किया है तो वहीं सीएम एकनाथ शिंदे ने कहा है कि वह बाला साहेब की हिन्दुत्व की विचारधारा के पथ पर अग्रसर हैं
166 total views